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Dr.Shree Prakash Yadav

Romance

3  

Dr.Shree Prakash Yadav

Romance

प्रियतमा

प्रियतमा

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बारिश की बूंदों सा मखमली एहसास हो तुम

 अंधेरों में भी रोशनी का आभास हो तुम।

 तुम्हारे स्वर में मानो चांदनी की एहसास है

अंदाजे आवाज में गजब की खिंचाई है।

 तुम्हारे होने भर से चारों ओर हरसिंगार है

 यानी जिंदगी की फ़लसफ़ा की खान हो।

एहसासों की डोर को प्रतिपल थामे रखना,

कोरा कागज पर अपना नाम बनाए रखना।

धरा पर प्रकृति की सुंदरतम रचना हो तुम.

इस विहंगम दृष्टि की संरचना को बनाए रखना ।


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