प्रवासी भारतीय
प्रवासी भारतीय
अपने वतन की मिट्टी को,
क्या कभी तू भुला पाएगा
जिस आंगन में खेला-कूदा,
क्या वो याद ना आएगा
जिस विद्यालय कॉलेज से
ली शिक्षा तुमने युवक
क्या उसके प्रति भी,
नतमस्तक ना हो पाएगा
जिस डिग्री के बलबूते गया परदेस,
वह डिग्री यहीं से पाई थी
क्या उस डिग्री को देख कर भी
आंख ना कभी भर आई थी
बन-संवर कर जहां से चला था,
क्या वो गलियां याद ना आती हैं
वो घर, शहर तेरा देश तेरी राह देखता
वो यादें कभी तो याद आएंगी,
तू लौटकर आएगा एक दिन,
ये मिट्टी तुझे बुलाएगी ।