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Geeta kumari

Abstract Others

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Geeta kumari

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बहती नदिया सी बह गई मैं..

बहती नदिया सी बह गई मैं..

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लोभी दुनिया में जी गई मैं,

विष का प्याला पी गई मैं

ना मीरा हूं ना नीलकंठ,

फिर भी सब झेल गई

मानो प्राणों पर खेल गई,

हुई भावहीन, हुई उदासीन

कंचन सी निखर गई,

टूटे मोती सी बिखर गई

अंतर्मुखी सब कहने लगे,

सबका कहना सह गई मैं,

बहती नदिया सी बह गई मैं



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