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Dhan Pati Singh Kushwaha

Abstract

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Dhan Pati Singh Kushwaha

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प्रशंसा स्वीकारें

प्रशंसा स्वीकारें

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मानवता के सच्चे रक्षक,

हर मानव तुम्हारा आभारी

माता के सम देखभाल कर,

करते हो चिंता हमारी


न सीधा संबंध रक्त का,

और नहीं है कोई रिश्तेदारी

मगर बिना कुछ भेदभाव के,

सबको मिलती है सेवा तुम्हारी


मानवता के सच्चे रक्षक,

हर मानव तुम्हारा आभारी

बहुत से कहते हैं स्वार्थी दुनिया,

त्याग धरा पर नहीं रहा


पर प्रमाण है सेवा भाव तुम्हारा,

जिसने भी कहा है गलत कहा

नींद-भूख-चिंता सब त्यागी,

दुष्टों के तानों को सहा


हम सबकी सुरक्षा के खातिर,

अपने तन-मन की सुधि तक बिसारी

मानवता के सच्चे रक्षक,

हर मानव तुम्हारा आभारी


स्वास्थ्य-केन्द्र या अस्पताल हो,

चाहे देश की सीमा हो

चैन आपकी सेवा की परिणति है,

आप तो हर मानव का बीमा हो

पुलिस रूप में पा संरक्षण,

हर कोई निश्चिंत होकर डोल रहा


जल-विद्युत और साफ सफाई,

यातायात व्यवस्था सेवा पर्तें को खोल रहा

सुख के समय मौज सब करते,

दुख में आती है याद तुम्हारी

मानवता के सच्चे रक्षक,

हर मानव तुम्हारा आभारी


आज "कोरोना" रूपी युद्ध में,

महत्ता तुम्हारी सबने है स्वीकारी

प्रधानसेवक मोदी जी के संग,

सारे भारत ने की है तैयारी


पाँच बजे सायं वेला में,

मार्च की बाईसवीं तिथि है विचारी

तव सेवा की करनी है प्रशंसा,

स्वीकार करना यह विनती हमारी

मानवता के सच्चे रक्षक,

हर मानव तुम्हारा आभारी।


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