STORYMIRROR

ADITYA MISHRA

Abstract

3  

ADITYA MISHRA

Abstract

प्रकृति

प्रकृति

1 min
157

प्रकृति की हर छटा निराली

सुंदरता से सभी को अचंभित कर डाली,

धरा को जब प्रभु ने था बनाया

स्वर्ग सा ही श्रृंगार किये थे।


कोयल की संगीत बजी है

फूलों से बाग सजी है,

बीती रात कमल दल फूले

रंग देख प्रकृति के मन है झूमे।


Rate this content
Log in

Similar hindi poem from Abstract