"प्रकृति करें ना माफ "
"प्रकृति करें ना माफ "
पहाड़ फोड़े जा रहे, समतल करी जमीन
ऐ मानस ने जुल्म किया, करें कैसे यकीन
करें कैसे यकीन, अचल का नाम मिटाया
गांव दूधवा दृश्य, देख इतना घबराया
हाल हुआ बदहाल, उड़ाए पत्थर रोड़े
प्रकृति करें ना माफ, बाद सिर माथे फोड़े।
