प्रजातंत्र
प्रजातंत्र
जनता के हित के लिए
जनता द्वारा रचित,
बड़ा पुराना मंत्र है, ये तो प्रजातंत्र है
राजा नहीं रानी नहीं,
सब यहां स्वतंत्र है,
जनता का सर्वाधिक कल्याण ,
इसका मूलमंत्र है ,
ये तो प्रजातंत्र है
उच्च नीच, जात पात,
सब से ये मुक्त है,
समानता लाने का ये,
एक बड़ा यन्त्र है, ये तो प्रजातंत्र है
सम्मति के सिद्धांतों पे आधारित,
शक्ति नहीं अपितु स्वेक्षा से संचालित,
परिपक्वता और निस्पछता जाहिर करता,
सर्वमान्य मंत्र है,
ये तो प्रजातंत्र है
पर,देखो प्रजातंत्र का,
बदला कैसा रूप है,
हर तरफ नेताओं की,
बढ़ रही लूट है, जनता के नाम पर ,
जेब भरी जाती है,
कुर्सी के लालच में,
बिक रहे वोट हैं,
ये देखो, ये जो,
आज प्रजातंत्र है।
