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Neeraj pal

Abstract

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Neeraj pal

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प्रियतम को।

प्रियतम को।

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तुम ही मेरी धारणा, तुम ही आराधना हो

प्रियतम प्राण प्यारे, तुम्हीं मेरी साधना हो


तुम मेरे सांसो में, आँहों में भी तुम ही हो

निंदिया में तुम ही प्रियतम, सपनों में भी तुम ही हो


मेरे स्वरों में तुम ही हो, रागों में भी तुम ही हो

हर एक बोल तुम्हारे, आवाज में भी तुम ही हो


सुख में भी तुम ही हो प्रियतम, दुख में भी तुम ही हो

तुम ही मेरी पूजा, और बंदना मेंभी तुम ही हो


बीच मझधार में जब मुझ को दिखता नहीं किनारा

तुम ही मेरी नैया, तुम ही मेरी खिवैया हो


कष्टों ने जब भी घेरा मुझको सूझे नहीं कोई सहारा

कष्ट निवारक तुम ही, तुम ही मेरी वैद्य हो


मांगता यही दुआ मैं रब से सांझ और सवेरे

कुछ और ना दिखे मुझको सिर्फ तुम ही तुम हो।


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