प्रिय का बाहुपाश
प्रिय का बाहुपाश
बसंत के आगमन से प्रकृति मुस्कुराई है,
दूर से मस्त मलंग हवा भी महमहाई है !
नव किसलय सी कोमल कोमल पत्तियाँ,
ऋतुराज के स्वागत में कैसे सरसराई हैं !
मदमस्त होकर कामिनी ने ली अंगड़ाई है,
उसे अपने प्रिय के बाहुपाश की याद आई है!