Shailaja Bhattad
Drama
बदलाव की शुरुआत एक से ही होती है
लेकिन अनेक तक पहुंच जाती है।
राह एक ही बनती है लेकिन,
अनेक राहें निकल आती है।
इसीलिए अपने उठते
हर कदम को,
छोटा ना आको।
गर हो जुनून सही,
सफलता मिल ही जाती है।
परिवर्तन की मशाल जल ही जाती है।
हे प्रभु
जय जय श्रीराम...
राम- भरत
श्री राम- भरत
हिन्दी नारे
श्रीराम
होली है
फूलों की होली
कान्हा होली म...
होली
छोड़ इस दुनिया को छोड़ इस दुनिया को
मेरी कलम वो आज ख़ामोश है मेरी क़लम वो आज ख़ामोश है। मेरी कलम वो आज ख़ामोश है मेरी क़लम वो आज ख़ामोश है।
उस सूने से बंजर आकाश में, मेला कभी ऐसा न था। उस सूने से बंजर आकाश में, मेला कभी ऐसा न था।
सभी के मुँह पे बस एक ही बात की सुनवाई, हमे घर कैद की सजा न जाने किसने है सुनाई। सभी के मुँह पे बस एक ही बात की सुनवाई, हमे घर कैद की सजा न जाने किसने है सुनाई।
ऐसे इन्सान के मन में खुद के अलावा किसी के लिये प्यार नहीं होता। ऐसे इन्सान के मन में खुद के अलावा किसी के लिये प्यार नहीं होता।
तोड़ कर तुम भी चल पड़ो साथ साथ मेरे, रख हाथ मेरे कांधो पर ! तोड़ कर तुम भी चल पड़ो साथ साथ मेरे, रख हाथ मेरे कांधो पर !
काला तिल है आज खुद से नाराज़ हूँ कि सोचती क्यों हूँ इतना मैं। काला तिल है आज खुद से नाराज़ हूँ कि सोचती क्यों हूँ इतना मैं।
उस दिन सब बदल सा गया, और शायद तब मैं सही में पिता बन गया ! उस दिन सब बदल सा गया, और शायद तब मैं सही में पिता बन गया !
सीमाबद्ध कालावधि में सदा रहे पावन, पुनः मिट्टी में ही करना होगा प्रत्यावर्तन। सीमाबद्ध कालावधि में सदा रहे पावन, पुनः मिट्टी में ही करना होगा प्रत्यावर्तन।
आज भी वही हूँ, पर तू नहीं है मैं आज भी वही हूँ, पर तू नहीं है। आज भी वही हूँ, पर तू नहीं है मैं आज भी वही हूँ, पर तू नहीं है।
प्रेम का राग मधुर सुना दे कर मन पावन। प्रेम का राग मधुर सुना दे कर मन पावन।
बस निभाने निकल पड़ता था नासमझ बचपन अच्छा था। बस निभाने निकल पड़ता था नासमझ बचपन अच्छा था।
दहेज़ नहीं, कर्ज़ भी नहीं यही स्वस्थ परंपरा होनी चाहिए। दहेज़ नहीं, कर्ज़ भी नहीं यही स्वस्थ परंपरा होनी चाहिए।
तब मेरी आत्मा ने मुझे बताया की ये माँ हे, ये माँ है। तब मेरी आत्मा ने मुझे बताया की ये माँ हे, ये माँ है।
और क्या चाहिए जिंदगी से सनम कितना सुकून कितना आराम होगा। और क्या चाहिए जिंदगी से सनम कितना सुकून कितना आराम होगा।
पर हर एक चीज तेरे प्यार के बदले, बहुत छोटा पाता हूँ मैं, बस दिल में तेरी श्रद्धा के, पर हर एक चीज तेरे प्यार के बदले, बहुत छोटा पाता हूँ मैं, बस दिल में तेरी श्र...
सर्थकता की मूल पहिचानो करो स्वयं से साक्षात्कार रे। सर्थकता की मूल पहिचानो करो स्वयं से साक्षात्कार रे।
अल्पायु में बनारसी हरिश्चन्द्र बाबू ने अद्भुत कार्य कर दिया कि उनका युग भारतेंदु युग ब अल्पायु में बनारसी हरिश्चन्द्र बाबू ने अद्भुत कार्य कर दिया कि उनका युग भारते...
वो माँ की तरह सुंदर तो नही ,मगर सुंदरता की मूरत है वो मेरी बडी बहिन है "मनु" ,मेरी माँ वो माँ की तरह सुंदर तो नही ,मगर सुंदरता की मूरत है वो मेरी बडी बहिन है "मनु" ,म...
जो मुझे खुशियों के जाम दे जाएगी। पर जब वो परछाई पास आई, जो मुझे खुशियों के जाम दे जाएगी। पर जब वो परछाई पास आई,