परिवार का ख़्वाब
परिवार का ख़्वाब
ख़्वाब तुम्हारे या हमारे ऐसे ना थे
उम्मीद से बंधे थे मगर उम्मीद
के जैसे ना थे
आप का ज़िक्र होता रहा हमारे साथ
तुम हमें मिल जाओ हालात भी
ऐसे ना थे
ज़िक्र किसी से नहीं हो पाया हमारे
ख़्वाब का
दो पल हम भी जी लेते हक़ीक़त में
हम ऐसे ना थे
हमारे ख़्वाब तुम्हारे बिना मुकम्मल ना थे
कुछ हम हो गए रुसवा तो कुछ तुम
पहले जैसे ना थे
किसी को पा लेना ख़्वाब में इतना बुरा
भी नहीं
नीयत हमारी साफ थी ख़्वाब ख़्वाब
जैसे ना थे
बेशक मेरी ज़मीन पर वह घर बना ले
शख़्स आने वाले पहले जैसे ना थे
काश हमारा भी परिवार होता
मिलने वाले लोग ही ऐसे ना थे।