परीक्षा
परीक्षा
परीक्षा का समय आया,
मन में हमने एक डर सा बिठाया,
पता नहीं प्रश्न-पत्र कैसा होगा,
यह सोच कर दिल बार-बार घबराया।
जब प्रश्न-पत्र सामने आया,
तो पाया, जो पढ़ाया था वही सब आया।
मन को तब एक, सुकून सा आया,
तब दिल में हो रही कश्मकश से थोड़ा आराम पाया।
प्रश्न-पत्र लिखना शुरू किया,
शिक्षिका पढ़ाया सब याद किया,
और आत्माविश्वास से समय पर पूरा किया।
हर एक सवाल पर शिक्षिका की कही बातें याद आ रही थीं,
उनके द्वारा कही गई बातें मेरे बहुत काम आ रही थी,
उनकी हर बात मुझे ढाँढस बंधा रही थी,
और मुझमें आत्मीश्वास का रस घोल रही थीं।
इस तरह मैं प्रश्न-पत्र पूरा कर पाया,
शिक्षिका द्वारा दिया गया मार्गदर्शन मेरे बहुत काम आया,
इस तरह मैं मेरे परीक्षा के डर पर काबू कर पाया।
इस डर ने भी आज, मुझे बहुत कुछ सिखाया,
ध्यान से शिक्षिका की बातें सुनना मेरे बहुत काम आया,
इसलिए हमेशा अध्यापिका की बातों को बहुत ध्यान से सुनिएगा,
पता नहीं कब कौन सी बात आप के काम आ जाए,
और आप को अपने लक्ष्य तक पहुँचा जाए।
