परिचय
परिचय
कविता तो बचपन की सहेली है।
साथ-साथ ही बड़ी हुई,
अब मेरे साथ ही रहती है।
हर पल मेरा खुशियों से भर देती है।
मित्रता का दायरा मैंने बढ़ाया है।
लघुकथा, संस्मरण, लेख इत्यादि को भी नई सोच का हिस्सा बनाया है।
रसायन शास्त्र में पीएचडी कर स्नातकोत्तर छात्रों को पढ़ाने का संतोष पाया है।
चिकित्सक पिताजी की सुलझी सोच और लेखनी मुझमें आई है।
इंजीनियर पति की विनम्रता मुझ पर छाई है।
सीखने की रहती हरदम चाह है।
कलात्मकता ने खोली मेरी राह है।
समाचार पत्रों ने लेकर मेरा साक्षात्कार बढ़ाया मेरा मान है।
मेरी किताब व साझा संग्रहों से बढ़ा मेरा सम्मान है।
समाचार पत्र-पत्रिकाओं ने भी सोच को सराहा है।
इसीलिए 500 से भी अधिक बार अपनी पत्रिकाओं में मुझे स्थान नवाजा है।
कहीं गेस्ट एडिटर तो कहीं पुरस्कार शिरोधार्य हुए।
बढ़ रही हूं आगे मां सरस्वती के आगे शीश झुकाए हुए।
आप सभी सितारों ने मिलकर जो बनाया एक दरिया है।
मेरा यही परिचय आप लोगों से जुड़ने का एक जरिया है।