प्रेम
प्रेम
मन का तार झंकृत कर दे, वो इक हसीँ ख्वाब तुम हो।
जीवन में मेरे शबाब भर दे, वो इश्क की आव तुम हो।
और दे साथ मंजिल तक, हम राही से हम सफर तक।
इस धरा से उस गगन तक, मेरे दिल का लगाव तुम हो।
मन का तार झंकृत कर दे, वो इक हसीँ ख्वाब तुम हो।
जीवन में मेरे शबाब भर दे, वो इश्क की आव तुम हो।
और दे साथ मंजिल तक, हम राही से हम सफर तक।
इस धरा से उस गगन तक, मेरे दिल का लगाव तुम हो।