प्रेम
प्रेम
तुमसे बोलते बोलते बीच में मेरा रुक जाना...
अचानक ही तेरी आंखों से बोलना मेरा...।।१।।
तेरी शब्दों को सुन...
मेरे शब्दों का अपने आप चुप हो जाना...।।२।।
तेरे आवाज की मधुरता...
जब मेरे मन में उतरते हैं...
तब मेरे कानों को...
तेरी आवाज़ को सुनता रहूं ऐसा मुझे लगना...।।३।।
हौले से तेरे हाथों को...
अपने हाथों से पकड़ना चाहता हूं...
ऐसे में दिलों की धड़कनें का बढ़ जाना...।।४।।
और तुझसे क्या कहूं, बोलूं...
मन में सदा यही सवाल उठते हैं...।।५।।