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प्रेम रंग से खेले होली

प्रेम रंग से खेले होली

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होली

रंगों का त्योहार

देता यह संदेश विश्व को

रंगहीन व्यर्थ जगत मिथ्या संसार


भोर से लेकर

विभावरी तक

प्रकृति के हैं रंग अपार

प्रातः दिनकर की लालिमा


क्षितिज पर

होती शोभित

ओढ़े वसुंधरा चूनर धानी

हरित वर्ण में मगन


मुदित

खेत-खेत पीली है सरसों

महकाती

इठलाती मुखरित

नील वर्ण श्यामल सुमेर पर


करें निर्झर धवल दुग्ध प्रवाहित

पावस बूँद

महके फुलवारी

इन्द्रधनुष की छटा न्यारी

आयी निशा


पदार्पण विधु का

तारों की रुपहली जगमग

रजत चाँदनी चमके चंदा की

सुबह से हो जाती है शाम

बिन रंगों के चले न काम।

रंग हमारा जीवन है


यह समझाती है होली

प्रेम का रंग है सबसे पक्का

इसे लगाकर खेलें होली

आओ बनें सबके हमजोली।


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