प्रेम पत्र
प्रेम पत्र
पहला प्रेम पत्र,
मुझे माँ ने लिखा।
स्कूल भेजे
डिब्बे के साथ,
छोटा सा...
कागज़ का टुकड़ा,
जिसपर लिखा था
केवल मेरा नाम।
माँ के लड़खड़ाते
अक्षरों में!
पर प्रेम अथाह था,
कि वो डिब्बा,
किसी और को
ना मिल जाए।
और मैं भूखी
ना रह जाऊँ।
इसलिए साथ में,
माँ ने उसपर
लिख डाला था,
कक्षा और
मेरा क्रमांक।।
दूसरा प्रेम पत्र
मुझे किशोरी होने पर
लिखा गय
ा।
मेरे प्रेमी के द्वारा,
पर चूक हो गयी
उसके निशाने में,
वह पत्र बाबा के
समक्ष जा गिरा।
बाबा ने मुझसे
किसी तरह का
प्रश्न नहीं किया।
मैं खुश थी!!
दूसरे दिन माँ'
अपनी चाँदी की कँगन
मेरे हाथ रख,
आँसू पोंछते हुए
कहती है...
अब तू ब्याह कर
चली जाएगी।
बाबा के 'बिन पूछे'
प्रश्न का उत्तर
मिल गया था मुझे।
और फ़र्श पर
बिखरा हुआ
मेरा आखिरी
प्रेम पत्र भी।