शिक्षक
शिक्षक
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कलम दे दिया बाबू ने खरीदकर
अब ज्ञान कहाँ से लाऊँ ?
एक शिक्षक ढूंढ दो बाबू
उसका शिष्य मैं बन जाऊँ !
एक कली भी करूँ अर्पित जो
चरणों में जाकर उनके खिल जाए !
ज्ञान के गगन में उनका दिया ज्ञान
इंद्रधनुष सा छा जाए !
सियाही बन कलम की मेरे
मुझे मेरे अस्तित्व से अवगत करवाए !
करूँ भविष्य में जो बेहतर कुछ
तो मुझसे पहले नाम उनका लिया जाए !
ऐसा इंसान बनाया है ईश्वर ने
जिसका ईश्वर से भी ज्यादा है मान !
शिक्षक दिवस के शुभ अवसर पर
ऐसे गुरुवर को हम सबका प्रणाम !