प्रेम की चरखी.............मेरे हमसफ़र!!
प्रेम की चरखी.............मेरे हमसफ़र!!
खुले आसमान
तेरे नाम की प्रीत
सांसों की डोर
प्रेम की चरखी लिए
डोलती रही....
कभी तेरी आँखों मेंं
देख अपनी तस्वीर
हवाओं संग उड़ती रही...
कि ख्वाबों का शहर
और जिंदगी का सफ़र
तेरे मन के डगर से...मुझे हर रोज
रुह से रुह को मिलाती रही...
तुम आओगे एक दिन
मुझसे मिलने ...
बारिश की बूंदे यूँ भी
तड़पाती रही ...
तुझे एहसास है आज भी
मेरी मोहब्बत का .......
तुम यादो के पहर निकल
हक़ीक़त के सफर में नज़र आने लगे ...
और सुन मेरे हमसफ़र ...........!!