प्रेम के साथ
प्रेम के साथ
सहयोग - सहृदय- समागम- सत्कार को
प्रेम के साथ अपनाओगे।
मनुज तुम इस वसुंधरा को ,
तब स्वर्ग सम बनाओगे।।
सहयोग -सहृदय- समागम -सत्कार को ,
प्रेम के साथ अपनाअोगे ।
हर पीड़ा मानव जगत की ,
मुस्कान अधरों पर लाओगे ।
प्रीत के रस घोल मधुर मन,
कलुषता को जब तुम हटाओगे।
मनुज तुम इस वसुंधरा को ,
स्वर्ग सम बनाओगे।
सहयोग -सहृदय -समागम -सत्कार को,
प्रेम के साथ अपनाओगे।
रंग बिरंगी इस दुनिया में ,
खुशियों के ,
नवल कुसुम खिलाओगे ।
जीवन के वट वृक्ष को सींच,
वसुदेव कुटुंबकम कर जाओगे।