परछाई के आँगन में
परछाई के आँगन में
प्यार एक तरफा ही सही
लेकिन........
मैं तुमसे मोहब्बत कर बैठा
पता है प्रेयसी, एक बात
तुझे देखने में मेरी आंखें
सुकून - सी भर जाती है
तेरी परछाई के आँगन में
तेरे बदन के समंदर में
एक बार भर - भर प्यार से
डूब जाऊँ, समा जाऊँ मैं
कभी ख्वाबों के मंजर में
तेरी तस्वीर को पाता हूँ
गर तस्वीर न मिले तो
खुद को सुखा पाता हूँ
नाराजगी ही सही पर
मैं तृप्त - सा भर जाता हूँ
हेल - हेल मेरे कंचन मन में
बेचैनी से खुद को सता पाऊँ
तेरी स्पर्श की छुअन मुझे
रुह - रुह कांप उठती है मेरी
तुझे पाने की तमन्ना मेरी
पता है कभी पूरा नहीं होगा
फिर भी मैं दिल के उफान को
थाम कर शांत कर बैठता हूँ।