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Varun Singh Gautam

Others

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Varun Singh Gautam

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रुकिए ज़रा...

रुकिए ज़रा...

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ध्यान दीजिए....

इस चित्र में एक बात

मुझे तो आँसू में भर दिया

क्या टटोल रहे हैं ?

कुछ तो टटोल रहे हैं

छोड़िए, मैं ही बताता हूँ

रुकिए ज़रा..... ठहरिए

मैं बताता हूँ

टटोल नहीं रहे बल्कि

एक रोटी के लिए....

कटोरी लिए

आगे नहीं बोल पाऊँगा

शायद आप समझ गए होंगे....

कि इन बड़ी भरें बाजारों में

इनके ऊँचे स्वर की ध्वनि

कहाँ विलीन हो रहे हैं ?!

रफ्ता - रफ्ता ही सही 

या फिर इनके 

अंध आशाओं को

कौन मोड़ दे रहे हैं ?.......


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