प्रभु राम की पद वंदना
प्रभु राम की पद वंदना
प्रभु राम की है वंदना,
घनश्याम की पद वंदना।
जल-थल-मरुत में वास है।
द्रुमदल सघन आवास है।
हृदयतल को आभास है।
श्री राम का अहसास है।।
उस अवध नृप की वंदना।
घनश्याम की पद वंदना।।
इस सृष्टि के करतार हो!
भव सिंधु की पतवार हो!
युग पुरुष का अवतार हो!
श्री राम तुम संसार हो!
रघुनाथ की है वंदना।
घनश्याम की पद वंदना।
चौदह बरस वन में रहे।
वनवास दिन आतप सहे।
तब राम मर्यादित कहे।
सब राम लहरी में बहे।।
वैकुण्ठ पति की वंदना।
घनश्याम की पद वंदना।।
हे राम तुम ही सत्य हो!
आदर्श मृण्मय न्याय हो!
हे राम तुम ही श्रेय हो!
हे राम तुम ही प्रेय हो!
सुखधाम की पद वंदना।
घनश्याम की पद वंदना।।
प्रभु राम की है वंदना।
घनश्याम की पद वंदना।।