प्रभु दर्शन
प्रभु दर्शन
पाना चाहे जो ईश को
दर्शन नित तू दीनन के कर
प्रभू के दर्शन सहज मिले
मन में सेवा के भाव तू भर।
जब लोभ मोह मद काम से
जीवन को मुक्त कर लोगे
निज स्वार्थ त्याग के कर सेवा
ईश्वर के दर्शन पा लोगे।
प्रभू बसे हैं तेरी साँसों में
तू मन की आँखे खोल जरा
प्रभू के दर्शन मिल जाएं
कर सेवा नित निज मात पिता।
क्यों भटके नित मंदिर मस्जिद
नहीं बसा वहाँ भगवान तेरा
दर्शन तो तब मिल पाएंगे
टूटेगा जब बन्धन का घेरा।
निज जीवन का उद्धार करो
गुरु मात पिता की सेवा कर
प्रभू के दर्शन सहज मिले
मन में सेवा के भाव तू भर।