पराई नहीं हो तुम
पराई नहीं हो तुम
नारी-शक्ति हो तुम
नारी का विविध रूप हो तुम
जीवन को भी जन्म देती हो तुम
हा, पुरूष समाज के साथ
राष्ट्रनिर्माण करती हो तुम,
क्योंकि पराई नहीं हो तुम
पराई कैसे हो सकती हो ?
इस समाज से भिन्न कैसे हो सकती हो ?
इसी मानव का एक अंग हो तुम
क्योंकि पराई नहीं हो तुम
हा,तुम नारी हो
अब अबला नहीं हो
हर क्षेत्र में तुमने अपना
मान बढ़ाया हैं
इस दुनिया को नारी-शक्ति
से परिचित कराया हैं
तो कब,और कैसे पराई
हो सकती हो तुम ?
हां, पराई नहीं हो तुम
तुम अपने को अलग मत समझना
स्वाभिमान के साथ समाज से जुड़े रहना
तुम्हारे बिना पुरुष समाज और
पुरूष समाज के बिना
अधूरी हो तुम तो
फिर कैसे पराई हो तुम ?
पराई नहीं हो तुम।