प्राचीन संस्कृति की झलक...।
प्राचीन संस्कृति की झलक...।
प्राचीन सभ्यता संस्कृति की याद दिलाती चित्रकारी,
जहां बड़ों का निर्णय सर्वमान्य होता था,
बहुएं सिर पर पर्दा करती थी,
और बच्चे उनकी हर बात को मानते थे,
घरों में गैया बंधी होती थी,
आलीशान महल नहीं छोटी सी कुटिया में रहते थे सब,
सुबह की भोर में पक्षियों की चहचहाहट,
पेड़ों की डाली हिलने की सरसराहट,
सब मिलकर रहते थे साथ,
अपनों में प्यार रहता दिलों में सम्मान,
सब होते एक बराबर न कोई भेदभाव,
बड़े पहनते धोती कुर्ता गले में फैटा,
महिलाएं पहनती भारतीय परिधान,
आंखों में शर्म होती नहीं बोलती बड़ों के सामने वो,
दिन भर परिश्रम करती बड़ों का सम्मान करती,
बच्चे खूब गलियों में खेलने जाते,
बड़ों से ढेरों कहानियां भी सुनते,
सचमुच वो पुराने दिनों की याद ताजा हो गई,
क्या खूब उकेरी चित्रकारी है,
प्राचीन संस्कृति की जो याद दिलाती है।