पोशीदा अल्फ़ाज़
पोशीदा अल्फ़ाज़
ख्वाबीदा ख़यालों में मग्न,
वह एक संदेश का इंतजार करता है,
मन ही मन वह रियाज़-ए-इज़हार करता है,
आप कमबख्त उस इल्तिजा को समझ न सके,
और वह दबे लफ़्ज़ों में इज़्तिरार-ए-इश्तिहार करता है।
ख्वाबीदा ख़यालों में मग्न,
वह एक संदेश का इंतजार करता है,
मन ही मन वह रियाज़-ए-इज़हार करता है,
आप कमबख्त उस इल्तिजा को समझ न सके,
और वह दबे लफ़्ज़ों में इज़्तिरार-ए-इश्तिहार करता है।