कोरोना और वीराना
कोरोना और वीराना
एक लापरवाही, बेफिक्री महामारी बन गई,
अलग - थलग रहने की आदत हमारी बन गई।
मन से तो वैसे भी लोगो से दूर हैं,
हम कहां किसी की ज़िंदगी का नूर हैं।
कोरोना आया है, क़यामत भी आयेगी,
पर यह वीरानी तब भी ना जाएगी।
आधी रात और ऐसे माहौल में
कोई और ख्याल आ नहीं सकता,
और अगर आया भी तो मैं बता नहीं
और कोई पता लगा नहीं सकता।
