Shivraj Sachdeva
Drama Romance
आज फिर तेरी
पनाह मेंं जीने को
जी चाहता है
थाम ले आकर मुझे
कि बस !
अब तो मेरा
खो जाने को
जी चाहता है...।
पनाह
इल्म
देख लूँ एक बार फिर मैं अपने बचपन की दिल्ली। देख लूँ एक बार फिर मैं अपने बचपन की दिल्ली।
गरीब भिखारी होकर भी घर में एकसाथ खाना खाने की इच्छा और एक अमीर शराबी की अवस्था...!!! गरीब भिखारी होकर भी घर में एकसाथ खाना खाने की इच्छा और एक अमीर शराबी की अवस्था.....
तुम्हारी शौहरत के मगर हम जान जाएंगे उनको भी तुम्हारी तुम्हारी शौहरत के मगर हम जान जाएंगे उनको भी तुम्हारी
ख़रीदे है कोई ख़ुशियाँ किसी की कोई करता रिश्तों का व्यापार देखो ख़रीदे है कोई ख़ुशियाँ किसी की कोई करता रिश्तों का व्यापार देखो
चुप हो जाता हूँ बाहर से मुस्कराता हूँ ओर अंदर से रोता जाता हूँ। चुप हो जाता हूँ बाहर से मुस्कराता हूँ ओर अंदर से रोता जाता हूँ।
कौन था मानसिक विछिप्त कौन था मानसिक विछिप्त
मेरे मां-बापू आपके भोलेपन की बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की। मेरे मां-बापू आपके भोलेपन की बहुत याद आ रही है मुझे बचपन की।
मैं भी जीवन संग आगे बढूंगी बन कर तेरी परछाई। मैं भी जीवन संग आगे बढूंगी बन कर तेरी परछाई।
सर्दी को नमस्कार, हर इस ठंडक को गरियाता है। सर्दी को नमस्कार, हर इस ठंडक को गरियाता है।
यही छोटे छोटे इत्तफ़ाक़ ही तो जीने का फलसफा सिखलाते हैं। यही छोटे छोटे इत्तफ़ाक़ ही तो जीने का फलसफा सिखलाते हैं।
दोस्ती बस बाहर तक दिखावा हैं, परिवार के बीच किसी को लाता नहीं। दोस्ती बस बाहर तक दिखावा हैं, परिवार के बीच किसी को लाता नहीं।
दुखों से न घबराएं हम में हैं ऐसे वीर कितने ? सुखों में न इतराएं कल देखा किसने ? दुखों से न घबराएं हम में हैं ऐसे वीर कितने ? सुखों में न इतराएं कल देखा किसन...
वक्त हसीन वो अब गुजर गया हमदम सोचते हैं अब क्यों हमारे मिजाज हर पल बदल जाया करते थे। वक्त हसीन वो अब गुजर गया हमदम सोचते हैं अब क्यों हमारे मिजाज हर पल बदल जाया क...
अपने स्नेह की थाप से हमें इंसान बनाया, इन सारी मांओं को मेरा नमस्कार, सलाम। अपने स्नेह की थाप से हमें इंसान बनाया, इन सारी मांओं को मेरा नमस्कार, सलाम।
मगर दिल के किसी कोने में वो बचपन अभी भी बहुत याद आता है। मगर दिल के किसी कोने में वो बचपन अभी भी बहुत याद आता है।
उस दिन मुझे भी उससे, ईर्ष्या हो गई यार। उस दिन मुझे भी उससे, ईर्ष्या हो गई यार।
चापलूसी व मक्खनबाजी करके, एक दिन ऊँचे रसूखदार बन जाते। चापलूसी व मक्खनबाजी करके, एक दिन ऊँचे रसूखदार बन जाते।
इस दिल की तो सारी हेकड़ी ही निकल गई। इस दिल की तो सारी हेकड़ी ही निकल गई।
விலகும் பயத்தில் வாழ்க்கையைத் தொலைப்பானேன் விலகும் பயத்தில் வாழ்க்கையைத் தொலைப்பானேன்
और उस टाइम पड़ोसी के फ़ोन पर अपना कब्ज़ा होता था। और उस टाइम पड़ोसी के फ़ोन पर अपना कब्ज़ा होता था।