पनाह
पनाह
आज फिर तेरी
पनाह मेंं जीने को
जी चाहता है
थाम ले आकर मुझे
कि बस !
अब तो मेरा
खो जाने को
जी चाहता है...।
आज फिर तेरी
पनाह मेंं जीने को
जी चाहता है
थाम ले आकर मुझे
कि बस !
अब तो मेरा
खो जाने को
जी चाहता है...।