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Dayasagar Dharua

Abstract

5.0  

Dayasagar Dharua

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पलाश-सेमल

पलाश-सेमल

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लग रहा है

कि संदेशा आ चुका है

कहीं से खबर सेमल

को लग गया है


देखो न !


सेमल की वृक्ष को

और उसकी नग्नता को

जैसे ये वसंत की प्रेमी है

जो बाँहें फैलाए

माथे मे सिंदूर की लालिमा लिए

वसंत को रिझा रही है


लग रहा है

कि संदेशा आ चुका है

पलाश को वसंत की

चिट्ठी मिल गयी है


देखो न !


अपनी सुहाग से मिलने

प्रेम के सारे वार्तालाप करने

सपरिवार खड़ी शरमा रही है

और वसंत भी दौड़ कर

सेमल की सुंदरता छोड़ कर

पतिव्रत पलाश से जुड़ रहा है


लग रहा है

कि संदेशा आ चुका है।


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