पिता
पिता
जीवन का आधार पिता,
मेरे है पालनहार पिता,
मेरी इच्छा को पूरी करते,
हृदय से हर बार पिता।
मेहनत की वो मांगे मन्नत,
कर्म को ही समझे जन्नत,
परिवार की खातिर हरदम,
करे हाड़ तोड़ वो मेहनत।
मेरे पिता ही ऐसे माली है,
हरदम करते रखवाली है,
भूखा रहकर भी तृप्त कहे,
उसकी ये भूख निराली है।
सतपथ पर वो चलता है,
कभी न मन मचलता है,
दो जूण की रोटी खातर,
जीवन भर वो ढलता है।
बाधाओं के आगे अड़े हैं,
पग पग पर संग खड़े है,
छप्पन इंची सीना उनका,
आकाश से भी वो बड़े है।