पिता
पिता
पिता ऐसा इंसान जो अपने लिए नहीं जीता
अपनी परवाह किए बिना सुबह से निकलता है,
और थोड़ा थोड़ा करके रोज धूप में पिघलता है ।
घर आकर सब अपनी थकान भूल जाता है ,
सोते हुए बच्चों को फिर थपथपी लगाता है ।
गर्मी के दिन हो या हो ठंड की रातें,पत्नी,
बच्चों के लिए पहले सुविधा जुड़ाता है ।
बच्चों की पढ़ाई के लिए महंगे लोन वो उठाता है,
जमीन बेचकर फिर वो लोन को चुकाता है ।
इतना करते हुए भी अंत पास कोई रह नहीं जाता है,
फिर भी बच्चों को खुश देखकर खुश वो हो जाता है,
कुछ भी हो जाए वो किसी से आस नहीं लगाता है ।
दूर हो गए बच्चों से वो दुख नहीं जताता है,
हसते हुए वो सबको फलने- फूलने का आशीर्वाद दे जाता हैं ।
