जीवन का सच
जीवन का सच
जीवन का ये कैसा सच सामने आया है,
जीने का नया सबक प्रकृति ने सिखाया है।
जीना है तो संयम में रहो नहीं तो जीवन को जोखिम में रखो।
अब तक करते आये थे हम प्रकृति से छेड़छाड़ अब बारी है उसकी,
जो सहती रही सबकुछ, और करती रही हमारी परवरिश।
जो देती रही हम सबको हवा, पानी और स्वस्थ जीवन,
पर हमने जो किया ये प्रकृति के साथ खिलवाड़ कर दिया उसको तार-तार।
अब हम देख रहे उसका रोद्र रूप जिसने कभी न दिखाया हमको चमत्कार।
बाढ, भूकंप और तूफ़ान तो थे ही पर ये अबोला कीटाणु या परमाणु ,
जिसने कर दिया सबका जीवन तबाह और ले आया सबके जीवन में एक बदलाव,
संयमित जीवन और सुरक्षा का पाठ पढाया हे इसने हमको क्या सबक सिखाया है हमको।