vikas panchal

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नन्हा पौधा अब पेड़ बना

नन्हा पौधा अब पेड़ बना

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एक माली ने एक बीज उगाया, साथ उसके एक सपना सजाया।

कड़ी मेहनत और धूप देकर उससे एक पौधा उग आया।

बढ़ने लगे अब पत्ते डाली जुड़ने लगे नए तने साख फिर।

तभी अचानक मौसम बिखराया, बढ़ने लगा आंधी तूफान का साया।

माली फिर भी नहीं घबराया, कड़ी चोटी का जोर लगाया।

शाखाओं ने भी साथ निभाया, आंधी तूफान से खुद को बचाया।

खिलने लगे फल, फूल और भी, बढ़ने लगे पत्ते तने और जड़े भी।

पुरानी शखाएं अब और दृढ़ थी, गहरी जड़े अब और सबल थी।

नए पत्तों से अब आस और लगी थी, आसमा को छूने की अब होड़ लगी थी।

पतझड़ का मौसम जब भी आया, तेज हवा ने रुख दिख लाया।

कुछ पत्तो ने अब साथ छुड़ाया पर छोड़ते दम तक साथ निभाया।

छूटते पत्तों ने जो साथ निभाया, माली उनसे भी बहुत खुश था।

उनने भी पूरा साथ दिया था, पौधे को पेड़ बनाने में सहयोग किया था।

जहा गए कुछ साथ छुड़ाकर वही आए अब साथ नए भी।

नन्हा पौधा अब बड़ा हुआ खूब, फलों, फूलों से अब वो भरा खूब।

फूलों ने भी क्या खूब बगिया को महकाया हैं, फतह का परचम लहराया है।


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