पिता
पिता
जो सच में नायक है
उसका कहीं कोई ज़िक्र नहीं है
जो सबकी फ़िक्र करता है
उसकी किसी को फ़िक्र नहीं है
वो क्या नहीं बन जाता था
अपने बच्चों की ख़ातिर
जादूगर मिठाई वाला फूलों वाला
पटाखे वाला पतंगवाला दिलवाला
घोड़ा गाड़ी ताँगा रेल
सबसे बनाता रखता वो मेल
मैंने पिता से बढ़कर दुनिया में
कोई अमीर आदमी नहीं देखा
जब जो चाहा वो मांग लिया
कभी उसको न मुंह बनाते देखा
वो खुश होता था मेरी खुशियों की ख़ातिर
उसने खुद था बेच दिया मेरी ज़िंदगी की ख़ातिर
खुद नहीं पढ़ा लेकिन औलाद को पढ़ाया उसने
खुद नहीं बढ़ा लेकिन औलाद को बढ़ाया उसने
अपने सपने को बेचकर वो नये सपने बुनकर लाया
अपने दर्द खरीदकर वो राहत हमारे लिए लाया
आज तलक उसने अपने पाँव के छाले अनदेखे किये
जो नंगे पांव जमीं पर दौड़ते थे
लाकर उनको अपनी खाल के जूते है दिये
वो ही पहला नायक है मेरे लिए
जिसने हौसला मुझे सिखलाया है
मेरे पापा हीरो है
यह गर्व मैंने उन्हीं से पाया है
मुझे याद नहीं कब उन्होंने
खुद को आईने में देखा था
मेरा आईना वो खुद थे बने
मुझे कन्धों पर बिठाकर ऊँचा है किया
है पिता! तुमको है नमन!
मैं अपराधी सदा रहूँगा तुम्हारा
तुम्हारी जो सादगी है
उसने तुम्हें जग में आसमां सा विस्तृत रूप दिया
मैं कृतज्ञ हूँ तुम्हारा जो तुमने मुझको
अपना हमसाया होने का स्वरूप दिया।