पिता बेटी का अटूट रीश्ता
पिता बेटी का अटूट रीश्ता
बेटी नहीं बेटा है तू मेरा
जिसने हमेशा मुझे बेटा बना कर दिखाया है
उस पिता का कर्ज कैसे चुकाऊं जिसने,
हर हाल में लड़ना सिखाया है....
अपने स्ट्रगल्स की स्टोरीज
जिसने थोड़ी इजी करके हमें बताया है,
जिसने हमें सब दिया
पर फिर भी हर चीज को कमाना सिखाया है उस
पिता का कर्ज कैसे चुकाऊं
जिसने हर हाल में लड़ना सिखाया है...
लाइफ में हर चीज की कद्र करो,
हर चीज की अपनी एक इंपॉर्टेंस होती है,
मेहनत करो तो हर मुकाम हासिल कर सकते हो,
जिसने अपने पैरों पर चलना सिखाया है,
उस पिता का कर्ज कैसे चुकाऊं
जिसने हर हाल में लड़ना सिखाया है....
तारीफ मेरी होती है,
कि हर जगह यह डटकर बिंदास होकर चलती है,
पर जिन का साया हर जगह मेरी हिम्मत बना,
जिन्होंने मुझे हर बार गिरने से बचाया है,
उस पिता का कर्ज कैसे चुकाऊं
जिसमें हर हाल में लड़ना सिखाया है...
जिंदगी के हर इम्तिहान में तो
कोई भी पास ना हो पाया है,
पर हर इंसान में बैठना उसे पार करना
कितना जरूरी होता है,
यह जिस ने सिखाया है,
उस पिता का कर्ज कैसे चुकाऊं
जिसने हर हाल में लड़ना सिखाया है..
अंत में सिर्फ इतना कहूंगी,
भगवान हर जगह नहीं खुद जा पाया है,
इसीलिए उन्हें हमने मां पापा के रूप में पाया है,
उनका कर्ज ना कोई चुका सकता है,
और ना कोई चुका पाया है...
