नारी
नारी
ऐ नारी ना जाने तेरे कितने हैं रूप,
प्यारों के लिए तू छांव है
तो दुष्टों के तू निखरती धूप...
दुष्टों के संघारके लिए तू काली बन आई,
जब बनीं शांति स्वरूप तब तू चन्द्रघंटा कहलाई....
तू है ममता का सबसे खूबसूरत एहसास,
तू सखी है, तू बहन है, तू अर्धांगिनी है,
बन बेटी आई तू किस्मत वालों के पास...
तू जिस आंगन खिलखिलाई,
बदकिस्मती ने वहां पीठ दिखाई,
आंसू गिरे जहां तेरे वहीं से,
विनाश की व्याख्या बन आई....