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ऐ नारी ना जाने तेरे कितने हैं रूप, प्यारों के लिए तू छांव है। ऐ नारी ना जाने तेरे कितने हैं रूप, प्यारों के लिए तू छांव है।
दबे पांव आया कल रात एक सपना, क्यों बदल दिया उसनें रुख़ ही अपना। दबे पांव आया कल रात एक सपना, क्यों बदल दिया उसनें रुख़ ही अपना।
हर दिन एक नया पन्ना है, हर दिन एक नई शायरी है. हर दिन एक नया पन्ना है, हर दिन एक नई शायरी है.
जिन का साया हर जगह मेरी हिम्मत बना, जिन्होंने मुझे हर बार गिरने से बचाया है, जिन का साया हर जगह मेरी हिम्मत बना, जिन्होंने मुझे हर बार गिरने से बचाया है,
किताबों में ना करके खुलेआम एक दूसरे का जिक्र करते हैं किताबों में ना करके खुलेआम एक दूसरे का जिक्र करते हैं
तो तेरी शायरी एक खयाल बंद रह जाता मैं ना लिखूं तुझ पर तो तो तेरी शायरी एक खयाल बंद रह जाता मैं ना लिखूं तुझ पर तो