Shriram Sahoo
Abstract
दर्द खाऊँ दर्द पीऊँ
अच्छा नहीं लगता।
बिना दर्द जीवन जीऊँ
यह भी अच्छा नहीं लगता।
कविता एक प्या...
हे अन्नदाता !
तुगलक
कुछ कविताएं
व्यंग्य क्षणि...
सेनेरयू
हाइकू
हुड़दंग
बसन्त पर हाइक...
समय/हाइकु
चन्दा मामा भी दागदार माँ तू कितनी अच्छी है। चन्दा मामा भी दागदार माँ तू कितनी अच्छी है।
संघर्ष की राह पर, मिलेगा मंजिल का पता, उम्मीदों का संगम, सपनों का संवारा। संघर्ष की राह पर, मिलेगा मंजिल का पता, उम्मीदों का संगम, सपनों का संवारा।
जिंदगी को जिया नहीं बस व्यतीत कर दिया हर सुनहरे अवसर को बर्बाद कर दिया जिंदगी को जिया नहीं बस व्यतीत कर दिया हर सुनहरे अवसर को बर्बाद कर दिया
मन से ही आधी जंग जीती जाती है मन के हार जाने से होता जीवन तंग मन से ही आधी जंग जीती जाती है मन के हार जाने से होता जीवन तंग
अब खोल दो परों को यह जमाना पंखों की परवाज देखता है। अब खोल दो परों को यह जमाना पंखों की परवाज देखता है।
होता पांच वर्ष में ऐसा ही, ये है चुनाव का दौर। होता पांच वर्ष में ऐसा ही, ये है चुनाव का दौर।
नौ महीने तक उदर में रखकर जिसने तुमको पाला । नौ महीने तक उदर में रखकर जिसने तुमको पाला ।
कहां आसान होता है मां होना देकर सारी दौलत अपनी मांगना हक पड़ता कहां आसान होता है मां होना देकर सारी दौलत अपनी मांगना हक पड़ता
मज़दूरों के महत्व को बिल्कुल नहीं समझ रहे हैं मज़दूरों को बेबस, लाचार, असहाय मज़दूरों के महत्व को बिल्कुल नहीं समझ रहे हैं मज़दूरों को बेबस, लाचार, असहाय
अपनी छोटी-से-छोटी मंज़िल तक सशक्त रूप में पहुंचते हुए अपनी छोटी-से-छोटी मंज़िल तक सशक्त रूप में पहुंचते हुए
जीवन की रणभूमि में पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है जीवन की रणभूमि में पथिक को जीवन पथ पर बढ़ना है
पूछूँ प्रश्न उनसे कोई नहीं उत्तर प्रश्न का उत्तर देना होता दुष्कर पूछूँ प्रश्न उनसे कोई नहीं उत्तर प्रश्न का उत्तर देना होता दुष्कर
कभी एहसास आसमान का, चांदनी को जमीं पे बिछाया होगा, कभी एहसास आसमान का, चांदनी को जमीं पे बिछाया होगा,
यूं ठोकरें खाकर चले थे , रास्ते के काटें सुई बन चुकी है यूं ठोकरें खाकर चले थे , रास्ते के काटें सुई बन चुकी है
हड्डियों को गलाकर, हर रोज लोहा करता। हड्डियों को गलाकर, हर रोज लोहा करता।
मैं बात बात में ही सब को तोलता हूँ मैं तो अब, बस मौन होकर बोलता हूँ!! मैं बात बात में ही सब को तोलता हूँ मैं तो अब, बस मौन होकर बोलता हूँ!!
सुर-सम सुधा क्षुधा-सम जल सुर-सम सुधा क्षुधा-सम जल
ऊंचे महलों में रहने वाले घमंड में मदमस्त चूर रहने वाले अकड़ में ऐंठ कर भी ऊंचे महलों में रहने वाले घमंड में मदमस्त चूर रहने वाले अकड़ में ऐंठ कर भी
कहते सुना है राम रहीम वाहेगुरु सारे एक ही पैगंबर में कहते सुना है राम रहीम वाहेगुरु सारे एक ही पैगंबर में
तकरार की जुबान पर संकोची सा लम्हा होंठों पर ठहरी मुस्कान सा लम्हा तकरार की जुबान पर संकोची सा लम्हा होंठों पर ठहरी मुस्कान सा लम्हा