फूल बने लाश
फूल बने लाश
किसी को खुश करने की चाहत में
किसी से वरदान पाने की ललक में
न जाने कितने पुष्पों की बलि चढ़ा दी तुमने
कितने भौंरों का सुख चैन लूट लिया तुमने
प्रेमिका के गजरों में
भगवान के चरणों में
कितने फूल जवान होने से पहले कत्ल हो गए
कितने फूलों को शूल चुभा कर, माला बनाकर
किस किसके गले में लटका कर हत्या कर दी तुमने
तुम्हारी हवस में, तुम्हारे धर्म कर्म में, तुम्हारे प्रेम और चापलूसी में
न जाने कितनी महक टूटी
न जाने कितने उद्यान उजड़े
और कितने परवाने तड़पे
कितने फूल लाश बन गए।