फूल और कांटे
फूल और कांटे
फूलों की बात निकलेगी तो कांटों का ज़िक्र भी आयेगा
खुशी की चाह हो जिसे वो कभी दर्द से ना बच पाएगा
प्रकृति नाम है संतुलन का
यहां कुछ पाने के लिए कुछ खोना पड़ता है
हंसने से पहले यहां रोना पड़ता है
वैसे तो ये अपने अपने नजरिए की बात है
पर देखो तो सच में ये कांटे ये दर्द ये कठिनाइयां
बहुत ही ख़ास हैं
ये हैं तभी तो खुशियों और सुंदरता की सबको इतनी आस है
आंसुओं के बाद मिली मुस्कान में अलग ही बात है
कभी ये दर्द आपके शिक्षक बन जाते हैं
कभी ये कांटे रक्षक बन जाते हैं
मंजिल उतनी ही खुशी देती है
जितने राह में पांव पे छाले आते हैं
फिर भी फूल तो फूल हैं
इनमें रंगत है, खुशबू है, हुस्न है ,जैसे कोई जादू है
इनको देख के हर कोई खुश होता है
इनकी खुशबू से मंत्रमुग्ध होता है
इनके पाने की जुस्तजू में कई ख़्वाब पिरोता है
जैसे किसी जादू के वश में होता है
पर जब कांटे चुभते हैं ..तभी ज़िंदगी का
हकीकत से सामना होता है
यूं तो फूलों की दुनियां बहुत खूबसूरत है, पर
फूलों की उम्र बड़ी छोटी होती है
और कांटे...कांटे कभी खत्म नहीं होते
चाहे अनचाहे हर जगह हैं उग ही आते हैं।
