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Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

3  

Ratna Kaul Bhardwaj

Inspirational

फटी जेबें

फटी जेबें

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खाने को दाना नहीं, डिग्रियों की पोथियाँ संभाले

घूम रहे हैं कितने तपती राहों पर, फटी जेबें खंगाले 


ज़िन्दगी कुल मिलाकर सिर्फ सिक्कों की एक पोटली है 

न जाने कब खर्च हो जातें हैं राहों में चलते चलते 


ऊँची इमारतों में रहने वालों की सपनों की तसवीरें  

रंगी होती हैं फटी जेबों वालों के खून पसीने से 


फटी हुई थी जेबें कफ़न भी न नसीब हुआ उनको 

जिनके हाथ सोने के आभूषणों को तोल रहे थे 


कितने ज़ख़्म, कितने ज़ुलम लोग देते गए हर दम

संभाल रख आये हैं उन्हें उन फटे कोटों की जेबों में 


फटीं रहें जेबें पर हौसलों में कभी तंगी न रहें 

ज़िन्दगी तेरे हर इम्तिहान से गुज़रेंगे हँसते हँसते  


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