फोन
फोन
भगा तनाव, सजा ख्वाब
फोन ने माँ बाप बच्चों में ला दी है दूरी,
बच्चों के बिन जीना बन गया है मजबूरी।
बिजी रहते है फोन में सुबह शाम,
अब ना करते वो थोड़ा सा भी आराम,
होते जा रहे चिड़चिड़े यूज करके इंस्टाग्राम।
पढ़ाई पे ना अब वो देते ध्यान,
फोन पे गेम खेल खेल के छाई रहती है थकान।
हर टाइम रहते वो परेशान,
कभी कभी तो दाव पे लगा देते जान।
चिपके रहते फोन से जैसे और नहीं कोई काम काज,
एक दिन यहीं जिंदगी में बनकर आएगा यमराज।
बैठते नहीं कभी मिलकर अब एक साथ,
नहीं करते किसी से प्यार से बात,
बदल गई है आदतें जग कर काटते अब सारी रात।
सब माँ बाप दो बच्चों पे ध्यान,
खेलो की तरफ इनका बढ़ाओ ज्ञान।
बच्चों के साथ करे हर रोज योग,
ताकि वो रहे निरोग।
समझ बैठा इंसान जिसे अमृत,
जहर है रंगीन पानी।
पी सादा पानी जो,
बनाए तेरी ज़िंदगी सुहानी।