नारी
नारी
कब तक यें बातें चलती रहेगी
कब तक यें नारी जलती रहेगी
कब आएगी कोई बनके काली
कब तक ऐसे हीं तड़पती रहेगी,
कभी एक नारी मर्दानी बनी थी
दुश्मनों सें वों अकेली लड़ी थी
बन जाओ तुम भी चंडी काली
क्या ऐसे ही औरत डरती रहेगी,
ऐ दुनिया वालों सोच को बदलो
तुम इन रीतिरिवाज़ों को बदलों
इन्हें भी पढ़ना लिखना सिखाओ
कब तक यें ऐसे हीं घुटती रहेंगी,
अबकी नारी भी पथ सें हैं भटकी
याद रखों तुम भारत में हों जन्मी
तुम्हारे हाथ में हैं संस्कृति बचाना
वरना यें संस्कृति यादों में हीं रहेगी।।