मैरेज
मैरेज
एक पिता जब कन्यादान देता है
कलेजे से निकाल कर अपनी जान देता है,
कदर करो उसकी उस जान की,
दान में मिली उसकी संतान की
एक पिता जब कन्यादान देता है
आंखों को नम कर अपना अभिमान देता है,
संभाल के रखो उसके उस अभिमान को,
वही बढ़ाएगी तुम्हारी भी स्वाभिमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
पूरे जीवन का कमाया अपना मान देता है,
मान करो तुम भी उसके उस मान का,
एहसान मानो एक पिता के उस दान का
एक पिता जब कन्यादान देता है
गुमान अपना देकर तुम्हें सम्मान देता है,
बनाए रखो तुम भी हमेशा उस सम्मान को,
सम्मान देकर एक पिता के उस गुमान को
एक पिता जब कन्यादान देता है
काट अपना हिस्सा तुम्हारे नाम देता है,
तुम्हारे ही नाम का है अब वह हिस्सा,
बनने मत दो समाज में उसको एक किस्सा
