पहले प्यार की अनुभूति
पहले प्यार की अनुभूति
प्यारी - सी कोई
सुखद अनुभूति
कल तक अनजानी - सी
आज पहचानी - सी
उषा की कोई किरण
आशा की लहर बनकर
बस जाती है दिल में
अपने एहसास के साथ
लगता है जैसे हम उसे
शिद्दत से जानते हैं
टिक जाती है साँसों में
गर्माहट के साथ
छोड़ती मादकता की
भीनी - भीनी खुशबू
लहराने लगती है
तरंगों - सी
बहने लगती है
पोर - पोर में
चाहत की सरिता
बनकर
प्यार के इस एहसास में
बड़ी प्यारी लगने लगती है दुनिया
छोटा हो जाता है आसमान
बौना नजर आता है पहाड़
लिखी और फाड़ी
जाने लगती हैं चिट्ठियाँ
प्यारे लगने लगते हैं
फल - फूल
गदराने लगता है यौवन
बदलने लगती है देह - बोली
होने लगता है व्यक्त
कल तक था जो अव्यक्त
शायराना अंदाज़
आँखों में सपने
आईने से लगाव
एसएमएस, मेल, वाट्सअप
फेसबुक का सिलसिला
खोया-खोया तन-मन
वो रतजगा,
और बहुत कुछ
फिर
उस अनजाने, अजीब से सुख को
पाने के लिए
मचलने लगता है दिल
रहने लगता है इंतजार
उस खूबसूरत
अजनबी पल का
दिलों के हिलोर का
उस सुनहरे कल का
पहले प्यार का
तन-मन का
जिस पर
नहीं होता है वश
किसी का