वर्षा रानी
वर्षा रानी
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तन-मन में जोश जगा
आया सावन का रेला
चितचोर मन झूम उठा
बगिया में पड़ा झूला
अंबर में बिजली चमकी
मेघों ने किया रैन बसेरा
झूम के बरसी वर्षा रानी
प्रणयित चितवन सारा
कुहू कुहू गाए कोयल
पंख पसारे नाचे मोर
धानी चुनरिया ओढ़ के
लहराई प्रकृति घनघोर
जलमय जीवन साराकल कल बहती धारा
प्रिय मिलन की बेला
समय ठहर जा ज़रा
