पहला प्यार
पहला प्यार
पहला प्यार क्या है,
कुछ भी नहीं
बस एक प्यारा सा एहसास है।
ओस की बूंद जितना नाजु़क,
सावन की पहली फुहार सा है।
कच्ची उम्र के कोमल से दिल को,
जब कोई प्यारा सा लगता है,
होता है कुछ कुछ और वो
अजनबी हमें अपना सा लगता है।
चार बातें होती हैं
और फिर मुलाकातें भी,
उन चंद मुलाकातों का
सिलसिला कुछ खास सा लगता है।
दिन में ख्याल सताता है
और रात वो सपनों में आता है,
और पता नहीं कब ये बेचैनी का आलम,
पहला प्यार बन जाता है।
घंटों फोन पे बातें करना,
फिर छुप छुप के मिलना,
घबराते शर्माते फिर
धीरे-धीरे आँखों का मिलना।
दो पल की दूरी भी जब
लगती है बेहिसाब,
उस पल होता है प्यार के
मीठे दर्द का एहसास।
शुरु होता है फिर रुठना मनाना,
होती है फिर प्यार भरी तकरार।
लगता है उस पल सब कुछ नया नया,
होते हैं दिन चाँदनी के चार।