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Garima Gupta

Romance

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Garima Gupta

Romance

बेवफाई

बेवफाई

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बेइन्तहा इश्क की चाहत में निकले थे हम, 

इक कतरा भी मुहब्बत का हमारी झोली में ना गिरा ।

तनहाई को अपना साथी बना बैठे,

जिससे नाता शा गहरा, वो हमनवा इक टूटे तारे सा गिरा। 

तिनका तिनका बटोर के सजाया था ये आशियाना अपना,

इक पल भी प्यार का इसमें ना मिला। 

पलक झपकते ही सब कुछ बिखर गया, 

समेटा तो बहुत पर दिल का वो एक खास टुकड़ा ना मिला। 

सोचा था एक ना एक दिन तो वो दिन भी आयेगा,

जब बिन मांगे ये सारा जहाँ अपना हो जाएगा। 

दिल में तमन्ना हो या ना हो,

कोई आयेगा और हर वो अधूरी आरजू़ पूरी कर जायेगा। 

दिल के किसी कोने में दफन होके रह गये थे जो ख्वाब , 

अचानक से आके उन ख्याबों को नये पंख लगायेगा। 

पर ना वो आया ना उसका कोई पैगाम, 

बस हर गुज़रते पल के साथ उसकी बेवफाई पे एतबार आया। 


                            


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