Subhransu Padhy

Abstract

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Subhransu Padhy

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फिर से मेरे अंदर की मानवता जीत गई

फिर से मेरे अंदर की मानवता जीत गई

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हमेशा की तरह ऑफिस के बाद 

मैं अपने घर लौट रहा था,

जल्दबाजी में चढ़ते वक़्त ट्रेन में 

जब देखा मैं बाहर तो एक फेरीवाला रो रहा था ।।


भ्रम में पड़ गया मैं उसकी मदद करूँ या ट्रेन

मैं चढूं क्योंकि ट्रेन छूट रही थी ,

ऊपर से और एक धर्मसंकट पांचवा सालगिरह 

था मेरा और घर में बीवी इंतज़ार कर रही थी ।।


मन में बहुत सोचने के बाद

आखिर में ट्रेन से उतर ही गया ,

और हमेशा के जैसे

मेरे अंदर की मानवता जीत ही गई।।


पास आकर पूछा मैं काका

क्या परेशानी है बताओ ,

अपने बेटा मानकर खुलकर बताओ 

मुझे और अंदर कुछ मत छुपाओ ।।


सुनते ही ये बात उन्होंने मुझे

कसकर गले लगा दिया ,

आखरी साँसे गिन रही है बीवी

हॉस्पिटल में दिल पर पत्थर रखकर बतादिया ।।


सुनकर मेरा दिल बैठ गया मैं भी रोते हुए 

बोला कुछ नहीं होगा अब आपका बेटा आ गया ,

स्टेशन से हम निकले तुरंत

और काका को लेकर मैं सीधा हॉस्पिटल पहुंच गया ।।


घर में चितिंत हो रही थी मेरी बीवी की उसके जानेमन के आने का टाइम हो गया ,

बनायी थी वो खास पकवान मेरे लिए

पर देरी के कारण अभी सब ठंडा हो गया ।।


पहुंचा में डॉक्टर के पास और पूछा उनसे कितने 

पैसे लगेंगे और हमारी काकी कब ठीक होगी ,

तो आज के कलियुग के वो डॉक्टर बोलने लगा मुझे 

रिसेप्शन पे 2 लाख भरिये उसके बाद ही ऑपरेशन सुरु होगी ।।


आप आपरेशन सुरु कीजिये मैं तुरंत 

ए. टी.म. से पैसे लेकर आता हूँ ,

कुछ भी करके ठीक कर देना हमारे काकी को

क्योंकि मैं उन्हें अपने माँ जैसे मानता हूँ ।।


पैसे मैंने दे दिए और ऑपरेशन सुरु हो गया

इंतज़ार करते करते दो घंटे यूँ ही बीत गया ,

जब बाहर आकर डॉक्टर ने बोला

अब आपकी काकी 

बिल्कुल ठीक है तब काका के चेहरे पे अनमोल सा वो मुस्कान छा गया ।।


रात के 2 बज गए थे मैंने कहा

 काका अब मैं चलता हूँ ,

काकी का ख्याल रखना कल फिर

घर पर आकर मिलता हूँ ।।


जब पहुंचा मैं घर पर

मेरी जान रूठ कर बैठी थी ,

गुस्सा तो जाहिस है क्योंकि

सालगिरह में मैंने इतनी देरी जो लगाई थी ।।


मैंने अपना बैग रखा और 

उसे कसकर गले लगादिया ,

जो भी हुआ था सब उसे

उसी समय बता दिया ।।


सुनकर ये बात उसने कहा

इस बार भी मुझे ख़ास तोहफ़ा तुमने ही दिया ,

हमेशा से कुछ अलग ये तोहफा 

और हमारे आज के दिन को यादगार बना दिया ।।


खाना खाने के बाद वो मेरे कंधे पे सिर रखकर सो गई और सोचते सोचते मैं भी सो गया ,

खुश था में क्योंकि एक अच्छे पति

के साथ साथ एक अच्छा इंसान जो बन गया ।।



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